बादशाह सलामत गुसलखाने से बरामद हुए। गुलाबदीन ने आवाज लगायी बा-अदब, बा-मुलाहिजा होशियार, तवज्जो मरकूज रहे, सजदे में निगाह रहे, जिल्लेइलाही तख्ते शाही पर जलवा अफ़रोज़ होते हैं.
जिल्लेइलाही
ने हुक्म दिया अखबारते सियाहिया पेश किये जाएं।
गुलाबदीन ने फिर आवाज लगायी: दफ़तरे अखबारते सियाहिया को जिल्लेइलाही के रूबरू पेश होने का हुक्म दिया जाता है। हुक्म की तामील हो।
दफ़तरे अखबारते सियाहिया के मीर मुंशी का ओहदा जीवनदास के पास था।
मीर मुंशी जीवनदास, लम्बा चोगा पहने, लाल पगड़ी बांधे, कमर झुकाए बगल में अखबारते
सियाहिया की मिसिल दाबे हाजिर हुए और झुक कर कोरनिश बजा लाए।
जिल्लेइलाही
ने सर को हल्का सा हिलाकर मीर मुंशी को अखबारते सियाहिया
पढ़ने का हुक्म दिया।
हुज़ूर चिरई गाँव से अखबारात हैं कि एक सुरंग
घोड़ा मुक्कादीन के चने के खेत में घुस गया और चने की फसल चर गया। हुज़ूर मुक्कादीन
ने जब इलाके के कोतवाल से शिकायत की तो कोतवाल ने मुक्कादीन को मार कर भगाया और कहा तुमने खेत
पर बाढ़ क्यों नहीं लगायी। ये सब तुम्हारी गल्ती है। तुम खेत की रक्षा करते तो घोड़ा
फसल क्यों चरता ?
जिल्लेइलाही
ने कहा: इसे कहते हैं उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।
*****
मीर मुंशी जीवनदास ने कहा हुज़ूर गडचेपा गाँव से
अखबारात हैं कि
ननक्कू की बहु ने रात को दीवार पर चोर देखा। चोर दीवार पर चढ़ रहा था। बहु चिल्लाई,
चोर है, चोर है। गाँव वाले जाग गए और चोर को पकड़ने उसके पीछे दौड़े। चोर भागकर मटरू
के घर में घुस गया। लोगों ने जब मटरू के खेत में तलाश किया तो सिवाय मटरू के कोई
आदमी नहीं मिला। मटरू का कहना था वह तो आराम से झोपड़ी में सो रहा था। शोर सुन कर
जाग गया, उसने कोई चोर नहीं देखा। गाँव वाले कहते हैं कि वह चोर मटरू ही था। ननक्कू
की बहु का कहना है, वह चोर काला काला, लम्बा लम्बा था। मटरू छोटा, ठिगना आदमी है। ननक्कू
ने भगवान का धन्यवाद किया कि बहु का कुछ
गया नहीं चोर का क्या रात को सब लूट लेता.
जिल्लेइलाही
ने कहा: हुक्म जारी किया जाए, चोरों से बचने के लिए मटरू के खेत में बाढ़ लगायी जाए।
*****
मीर मुंशी जीवनदास ने मिसिल से एक मुड़ा तुड़ा
कागज निकाला और पढ़ना
शुरू किया.
इलाके
के मंसबदार ने खबर दी है कि खुदागंज से अल्लाहगंज जाते हुए रास्ता लुटता है। कई
आदमी रोज ही लुट जाते हैं। सुबह को हाथ पैर बंधे खेतों में पड़े मिलते हैं। कोतवाल
और सिपाही बेबस हैं। दो सिपाहियों की तैनाती की गयी थी उनकी ढाल और तलवारें छिन चुकी
हैं। मंसबदार का कहना है इजाजत हो तो इलाके के नुक्का पहलवान को रास्ते की सुरक्षा
के लिए लगाया जाए। उसके चेले बहुत हैं। वह चेलों की मदद से रास्ता लुटने से बचा
सकता है।
जिल्लेइलाही
ने कहा: जिसका काम उसी को साझे और करे तो डंडा बाजे.
*****
मीर मुंशी ने आगे कहा भैंसोड़ी में हवा फैली है कि भयानक
बीमारी फैलने वाली है। कुछ दिन से चिड़ियाँ पेड़ों से मर कर गिर रही हैं। लोगों के
मुर्गे और कबूतर बीमार हो गये। एक पहुंचे हुए फकीर ने कहा है नई शताब्दी जब शुरू
होगी दुनिया खत्म हो जाएगी। नई शताब्दी शुरू होने में अभी तीन महीने बाकी हैं। इलाके
के साहूकार बस्ती छोड़कर भाग गये अब
किसानों को उधार कौन देगा। लोग परेशान हैं कि जाएं तो जाएं कहां और खाएं तो खाएं
क्या ?
जिल्लेइलाही
ने कहा: मीट मुर्गा खाना बंद करो।
*****
मीर मुंशी बोले हुज़ूर शाही फौज के घोड़ों के
रखवाले ने अर्जी गुजारी है कि घोड़ों की लगामें घिस गयी हैं। उनका चमड़ा पुराना होकर
टूट चुका है। बहुत से घोड़े बेलगाम हो गये हैं। सिपाही को पीठ पर चढ़ने नहीं देते। अगर
सिपाही जोर जबरदस्ती चढ़ जाए तो दो टांगों पर खड़े होकर उसे गिरा देते हैं। हुक्म
फरमाया जाए कि नई लगामें खरीदी जाएं।
जिल्लेइलाही
ने हुक्म दिया: एक लगाम में दो घोड़े बांधे जाएं। जो घोड़े हुक्म नहीं मानते उन्हें
शाही फौज से निकाला जाए।
जिल्लेइलाही
ने इशारा किया। चोबदार ने आवाज लगायी: दफ़तरे अखबारते सियाहिया की पेशी मुल्तवी की जाती है। बहुक्म हुज़ूर जिल्लेइलाही कल फिर पेश किये
जाएंगे.
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