धरती के लाल ! याद है तुम्हें ? हलागू और चंगेज़ सिकन्दर की उमड़ती फ़ौजें तातारी बेलगाम घोड़े मंगोलों के हमले जिन्होंने सभ्याताऒं की ईंट से ईंट बजा दी. दिल्ली लुटी कई बार कभी नादिर शाही कत्ले आम कभी तैमूर की चढ़ाई मराठों के हमले गोरों की हुकूमत 1857 की क्रान्ति दिल्ली की घेराबन्दी आखरी मुग़ल का खात्मा पहला विश्व युद्ध बमों की बरसात दूसरा विश्व युद्ध हीरोशिमा और नागासाकी फिर उठे मानवता के ठेकेदार अब जंग न होने देंगे इन्सानियत को बेवजह शर्मसार न होने देंगे दुनिया दो शक्तियों के घेरे में अमेरिका और रूस शीत युद्ध, जासूसी, प्रोपेगन्डा रूस का बिखराव दुनिया एक शक्ति की मुठ्ठी में काले नकाब पोश चेहरे आतंकवाद का साया ट्विन टावर की तबाही बिखरती मानवता की परछाईं अफ़गानिस्तान के घाव कैमिकत हथयारों की खोज इराक़ का बिखराव भूख से बिलखते बच्चे मानवता का उपहास ग्वान्टेनामो की कहानी टार्चर का नया इतिहास धरती के लाल इन सबसे बेपरवाह तुम अपने काम में लगे रहे कारखानों में मशीनों पर खेतों में, सडकों पर तुम्हारे दो हाथ ही काम आते हैं दुनिया को रोटी ही नहीं देते इसे खूबसूरत भी बनाते हैं धरती के लाल हर बार तुम्हीं निशाना बने ज़ुल्म करने वाले हलागू या चंगेज़ हों य़ा हिटलर और मसोलिनी लाल सिपाही मानवता के ठेकेदार या बे चेहरा शक्तियां कभी आतंकवाद के नाम पर क्भी इन्सानियत के नाम पर तुम्हीं क्यों पीसे जाते हो ? धरती के लाल ?? |
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Friday, November 12, 2010
धरती के लाल याद है तुम्हें ?
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