चालिस के बाद इंसान को अगर ज़्यादा दिनों तक इस दुनिया में ज़िन्दा रहना है तो उसे अपनी शक्ति को सुरक्षित रख्नना चाहिये. एक दार्शनिक ने लिखा है कि चालिस के बाद इंसान खड़ा क्यों हो अगर वह बैठ सकता है, और बैठे क्यों अगर वह लेट सकता है.मुझे उसकी यह बात पसंद आयी. अब मैं अपना अधिकतर समय लेटे लेटे बिताती हूं. चालिस की आयु के बाद मैंने स्वास्थ्य ठीक रख्ने के लिये कुछ उपाय किये हैं जो आज आप को बताना चाहती हूं. इस उम्र के बाद स्वास्थ्य पर विषेश ध्यान ज़रूरी है नहीं तो हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी बीमारियां घेर लेती हैं.
मैं बचपन से बडी खिलन्डरी और चंचल रही हूं लेकिन अब चलना फिरना कम कर दिया है. शापिंग नौकर से करवाती हूं या फिर इन्हें भेज देती हूं. खाद्य पदार्थों में मिलावट के कारण अब हड्डियों में वह जान नहीं रही जो पहले हुआ करती थी. आस्टियोपोरोसिस की वजह से हड्डियां कमज़ोर होकर जल्दी टूट जाती हैं.
इस उम्र में यात्रा तो बिलकुल भी नहीं करनी चाहिये. अखबारों में दुर्घटनाओं के समाचार पढ़कर जान निकल जाती है:
घोड़ा गाडी गधे से टकरा गई, एक मरा दस घायल.
ट्रेन पटरी से उतरी कोई घायल नहीं हुआ.
एक दुर्घटना ही क्या आदमी की जान लेने के सैंकडों बहाने हैं. भीड़ भाड़ वाले स्थान पर बम फट गया, घर में गैस स्लिन्डर फट गया, बाथरूम में फिसल पडे, बस में बिजली का करंट दौड़ गया. इसी बहाने पब्लिक कम हो रही है और नाम परिवार नियोजन का हो रहा है.
कल मेरे पास कुछ सोशल वर्कर आये थे. जब मैं कालेज में थी तो सोशल वर्क मेरी विषेश रूचि थी. लोगों की बडी सेवा की लेकिन अब सब छोड़ दिया है. वह लोग स्कूल के गरीब बच्चों के लिये चंदा मांगने आये थे. मुझे भी इस अभियान में साथ लेजाना चाहते थे. मैने पूछा वह स्कूल कैसा है, वहां बच्चों को क्या पढाया जाता है ? यह सुनकर वे सब खी खी कर हंसने लगे. उनमें से जो सबसे बडी उम्र का था बराम्दे में खैनी की बदबूदार पिचकारी मार कर बोला "मैडम हम देश भक्ति की शिक्षा देते हैं. बच्चों को वंदे मात्रम् कहना सिखाते हैं.यही हमारा धर्म है, यही हमारा कर्म है."
मैंने कहा " अंग्रेज़ बिना वंदे मात्रम् कहे आधी दुनिया पर शासन कर गये. अमेरिका बिना वंदे मात्रम् के सारी दुनिया का चौधरी बना हुआ है. नये दौर में आप पीछे की ओर क्यों लौट रहे हैं ?"
उसने कहा "मैडम हमारे लिये तो दौर एक सा है, आपके लिये शायद बदल गया होगा. हम तो कल भी सेवक थे, आज भी सेवक हैं."
मैंने कहा "मैं आपके साथ नहीं चल सकती. मैं चालिस से ऊपर की हो चुकी हूं. उसने कहा "तो क्या हुआ ? मैं पचास साल का हूं, यह हमारे गुरू जी सत्तर साल के हैं. अब भी जवानों को लाठी चलाना सिखाते हैं. जब यह भाला घुमाते हैं तो जवान भी इनके सामने टिक नहीं पाते."
मैंने कहा "ज़रूर आपका ब्लड प्रेशर बढ़ गया होगा, पेशाब में शकर आती होगी. ब्लड में कोलेस्ट्राल खतरे के निशान को पार कर गया होगा...."
बोला "ऐसा तो नहीं है."
मैंने कहा "चेकअप क्रराइए तो पता चलेगा."
कहने लगा "चेकअप कराने से क्या फायदा ? जब तक जान है देश सेवा में लगा दूं. शरीर तो एक दिन नष्ट हो जायेगा."
मैंने कहा "यह शरीर आपको इसलिये नहीं दिया गया है कि आप इसे ज़बर्दस्ती नष्ट करदें. यह जीना भी कोई जीना है कि घुटनों का दर्द परेशान करता हो, गुर्दे में पथरी हो, दिल का दौरा पड़ने का धड़का हर समय लगा रहता हो....."
वह बोला "आप इतनी मोटी क्यों हैं. आप को दिल का दौरा पड़ सकता है. अगर आप ऐसे ही मोटी होती रहीं तो आप की हड्डियां शरीर का बोझ संभाल नहीं सकेंगी और टूट जाएंगी. आप योग करने लगें बडा फायदा होगा."
वे लोग यह कहकर चले गये. मैंने उनकी बातों पर फिर से विचार किया. शाम को जब मैं बिस्तर से उठने लगी तो मुझे पैर की हड्डी चरमराती हुई सी लगी........शायद वह टूट ही जाती, अगर मैं बिस्तर पर जल्दी से लेट न जाती...... उसने सच कहा था !
अब मैं योग करने के बारे में सोच रही हूं. मैंने योग पर एक अच्छी किताब मंगवा ली है और लेटे लेटे उसे पढ़ डाला है. योग के आसन भी इतने कठिन हैं कि उनके करने से अच्छे भले आदमी से पेट में बल पड़ जाएंगे या फिर हड्डियां दोहरी होकर टूट जाएंगी. योग के फायदे देखते हुए मैं यह सब कठिनाइयां भी उठाऊंगी. मुझे योग का सबसे अच्छा आसन शव-आसन लगा वही करने के बारे में सोच रही हूं.....!
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