Thursday, December 29, 2016

डेंगू का मच्छर

ये है डेंगू  का  मच्छर
काटता है दिन भर
रात होते ही
दुबक जाता है कोने में

उसूलों का ये है पक्का
रहता साफ़ पानी में
पानी जो हो जाए गन्दा
बंद हो जाए इसका धंधा

नेताजी बोले
डेंगू से क्या डरना
दिन में कपडे पहनो
रात में नंगे फिरना

पानी साफ़ न  रहने दो
करदो इसको  गन्दा
 कूलर पंखा बंद करो
एसी में मौज करो





पतझड़ के मौसम

लू से झुलसे चेहरे ये पतझड़ के मौसम
गर्मी की लपट और अंधड़ के मौसम
सुकून, शांति, इत्मिनान अब कहाँ
दुनिया में फैल गए धडपड के मौसम
कभी तूफान, ओले, धूल भरी आंधियां
रोज़ रंग बदलते हैं गड़बड़ के मौसम
पेड़ झूमे, पानी बरसा  बादल  छाये
झूमते गाते आते हैं बढ़चढ़ के मौसम
क्यों खामोश पड़े हो  बंद कमरे में
बहार निकल कर देखो खड़बड़ के मौसम



Wednesday, January 6, 2016

परछाइयाँ



सूनी पड़ी हैं अब वह अँगनाइयां
गूँज उठती थें जहाँ कभी शहनाइयां

ज़माने का क्या मैं शिकवा करूँ
दूर तक पहुंची हैं मेरी रुस्वाइयां

सर पे सूरज था तो साया भी साथ था
धूप  जाते  ही  मिट गयी हैं परछाइयाँ


भूले बिसरे रिश्ते याद आते नहीं
अब दर्द देती नहीं हैं पुरवाइयां

सिर्फ आँखों में आंसू भरने के लिए
काम कब आती हैं तन्हाईयाँ


Sunday, November 22, 2015

तू बस बनाले जाला

हुक्म हुआ मकड़ी को
तू बस बनाले जाला
और इन्तिज़ार कर
इसमें फंसेगा उड़ने वाला

कछुए से  कहा
चलता रह बस धीरे धीरे
तेज़ दौड़ने की कोशिश न कर
मुंह के बल गिरता है तेज़ दौड़ने वाला

Saturday, November 14, 2015

खुश्क होंटों पर हंसी रख दे

अँधेरे ताकों में रौशनी रख दे
खुश्क होंटों पर हंसी रख दे
माना कि ज़िन्दगी  फरेब है फिर भी
उम्मीदों में एक दिलकशी रख दे
लफ्ज़ की धार तेज़ है लेकिन
लहजे में उसके चाशनी रख दे
अँधेरी रात में तनहा मुसाफिर
उसके रस्ते में चांदनी रख दे

Friday, November 13, 2015

अच्छी किस्मत सूखी रोटी

अच्छी किस्मत
सूखी रोटी
भागते भूत की लंगोटी

अब इत्मीनान
कहाँ है दुनिया में
ज़रा चूके किस्मत फूटी

मेहनत से
या मकर से
मिल जाती है दो वक़्त की रोटी

कर्मचारी की
तनख्वाह क्या
हो जाती है आमदनी मोटी

रिक्शे का मैडम
पूछ रही थी किराया
आया टैक्सी वाला हो गयी रोज़ी खोटी

इस सियासत को
तुम क्या जानो
तुम्हारी तो है बुद्धि मोटी

Wednesday, November 11, 2015

ग़ैर मुस्लिम शुअराए शाहजहाँपुर

ग़ैर मुस्लिम शुअराए  शाहजहाँपुर मुबारक शमीम और लतीफ़ रशीदी की संयुक्त पुस्तक है. इसमें उर्दू और फ़ारसी ज़बान के शायरों के कलाम  और जीवन परिचय दिया गया है. उर्दू और फ़ारसी भाषा से अनुवाद और संकलन लतीफ़ रशीदी ने किया है. इसके साथ ही शाहजहाँपुर का संछिप्त इतिहास भी शामिल है.