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Friday, November 13, 2015

अच्छी किस्मत सूखी रोटी

अच्छी किस्मत
सूखी रोटी
भागते भूत की लंगोटी

अब इत्मीनान
कहाँ है दुनिया में
ज़रा चूके किस्मत फूटी

मेहनत से
या मकर से
मिल जाती है दो वक़्त की रोटी

कर्मचारी की
तनख्वाह क्या
हो जाती है आमदनी मोटी

रिक्शे का मैडम
पूछ रही थी किराया
आया टैक्सी वाला हो गयी रोज़ी खोटी

इस सियासत को
तुम क्या जानो
तुम्हारी तो है बुद्धि मोटी